राजधानी दिल्ली के रहने वाले 65 साल के अशोक कुमार अग्रवाल का 15 साल पुराना घुटने का दर्द उनके लिए काल बन गया था उठना बैठना, चलना फिरना अंसभव सा हो गया था । वहीं डॉक्टर्स ने भी उन्हें आराम करने को कह दिया, दोबारा पहले जैसे होना के लिए ऑपरेशन तक की सलाह देदी लेकिन हकीम सुलेमान खान साहब के घरेलू नुस्खों ने उन्हें 15 दिनों में दोबारा चलना फिरना सीखा दिया।ऐसा हम नहीं ऐसा खुद अशोक कुमार जी दावा करते हैं।https://bitly.cx/3ll5o
पेशे से वकील और एस्ट्रोलॉजर अशोक कुमार अग्रवाल पिछले 15 सालों से घुटनों के दर्द से परेशान थे। ये दर्द एक वक्त इतना बढ़ गया कि वो बिस्तर पर रहने लगे। कोर्ट कचहरी जाना भी छूट गया। इलाज के लिए हर संभव कोशिश की लेकिन उन्हें आराम नहीं मिला। अब ऑपरेशन तक की नौबत आ गई थी। डॉक्टर ने घुटने बदलवाने की सलाह दे दी। ये सुन कर ही अशोक जी धबरा गए। अशोक जी कभी भी सर्जरी नहीं करवाना चाहते थे।लेकिन इसके अलावा उनके पास कोई ऑपश्न भी नहीं बचा था। बुढ़ापे में वो किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहते थे।फिर इलाज के रूप में उन्हें मिला हकीम सुलेमान खान साहब का घरेलू नुस्खा। अशोक जी जहां इतने पढ़े लिखे, उनका ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि कोई यूनानी और घरेलू इलाज से कैसे ठीक हो सकता है? https://bitly.cx/40qdK
अशोक जी ने हकीम सुलेमान खान द्वारा सुझाया वो गोंद सियाह लेना शुरू किया, और 15 दिनों बाद जो हुआ उसपर अशोक कुमार यकीन ही नहीं कर पा रहे थे। घुटनों के दर्द में इतना आराम उन्होंने बीमार होने के बाद पहली बार महसूस किया। यूनानी इलाज को लेकर जो संकोच था वो खत्म तो हुआ ही उनका यकीन इस इलाज पर और भी पुख्ता हो गया। अब अशोक जी ने चलने-फिरने की क्षमता को इस तरह से हासिल किया कि कई लोग इसे एक “चमत्कार” मानते हैं। अब वह पहले से ज़्यादा फुर्तीली हो गये हैं। अशोक जी ने सोचा क्यों ना बाकी रोग में भी इलाज किया जाए, और फिर हकीम जी के नुस्खों से ही उन्होंने अपने पेट का भी इलाज कर लिया। अब वो सिर से पांव तक फिट हैं। https://bitly.cx/3ll5o
बुढ़ापे में भी अशोक जी की हड्डियों में मजबूती बरकरार है। सीढ़ियों पर बिना रुके उसी अंदाज में चलते हैं जैसे वो 30 की उम्र में चलते थे। घुटनों में वो ताकत लौट आई है जिसकी उम्मीद अशोक जी खो चुके थे। अशोक जी के रिलेटिव्स भी अब हकीम सुलेमान खान के घरेलू इलाज के कायल हो चुक हैं। कोर्ट परिसर मे भी यही चर्चा रहती है कि कौन सी ज़ड़ी बूटी ने अशोक जी को इतना फिट कर दिया। वहीं अशोक जी सभी नुस्खों को ज्यादा से ज्यादा लोगों में पहुंचा रहे हैं, इतना ही नहीं उन्होंने अब आर्थिक रुप से कमजोर और जरूरतमंदों को भी दवाई और नुस्खें पहुचाना शुरू कर दिया है। अशोक जी कहते है कि उनके लिए यह बहुत सुखद एहसास है कि वो लोगों की सेवा कर रहे हैं।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है । यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है । इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू (हिंदी) । यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता हैं । यह एक मध्यप्रमाण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है । गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है । वह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण पाए जाते हैं गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द, शरीर की कई बीमारियों को हम से दूर रखता है ।