शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यक्ति क्या कुछ नहीं करता। लेकिन फिर भी वह असफल ही रह जाता है। कई बीमारियाँ बढ़ती उम्र के साथ होती हैं जिनमें से एक है घुटनों का दर्द। घुटनों का दर्द एक ऐसा दर्द है जिसमें व्यक्ति को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह दर्द इंसान को असहाय बना देता है। असहाय होने से पहले ही इस दर्द का हरसंभव प्रयास करना चाहिए ताकि इस गंभीर दर्द से राहत मिल सके। हर व्यक्ति के दर्द सहने की एक क्षमता होती है लेकिन इस समस्या में दर्द की कोई सीमा नहीं होती। इसी वजह से लोग घुटनों के दर्द को ठीक करने के लिए हर तरह का इलाज अपनाते हैं।
मिलिए आर. बी. वर्मा जी से जिन्होंने अपना सारा जीवन देश की सेवा में लगा दिया और खुद की सेहत पर कोई ध्यान ही नहीं दे पाये और पाचन संबंधी गंभीर समस्या की जकड़न में आ गये। लेकिन वर्मा जी ने अपने विवेक से और भारतीय जड़ी बूटियों की मदद से खुद को सेहतमंद कर ही लिया। साथ ही अपनी पत्नी को गंभीर जोड़ों के दर्द से आजाद कराया। आज हम जानेंगे कि वर्मा जी और उनके परिवार का यह
लखनऊ के इंदिरा नगर में रहने वाले 65 वर्षीय आर. बी. वर्मा जी पेशे से सेल्स टैक्स विभाग में एडिशनल कमिश्नर में कार्यरत रह चुके हैं। काफी लंबे समय तक देश के लिए सेवा और समर्पण का त्याग करने के बाद वर्मा जी साल 2016 में रिटायर हो गये थे। वर्मा जी का एक बहुत ही छोटा सा और प्यारा सा परिवार है। उनके परिवार में उनकी पत्नी (गृहिणी), दो बेटे और एक बेटी है।
आर. बी. वर्मा जी के छोटे बेटे और उनकी पत्नी भारत के सम्मानित न्यायालय में एक सम्मानित जज के रूप में कार्यरत हैं। वर्मा जी की बेटी एक सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में काम कर रही हैं। उनकी बेटी के पति भारत में एक सम्मानित रिवेन्यू ऑफिसर (तहसीलदार) हैं। वर्मा जी का सबसे बड़ा बेटा और उनकी पत्नी बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। वर्मा जी को 50 साल पुरानी पाचन संबंधी समस्या थी लेकिन उसके साथ ही अलावा उनकी पत्नी को गंभीर जोड़ों का दर्द भी था।
वर्मा जी को 50 साल पुरानी कब्ज की समस्या थी। जिसके कारण उन्हें एसिडिटी, गैस, पेट दर्द और जलन की समस्या भी हो गई। इस बीमारी पर ध्यान ना देने की वजह से उन्हें 1997 में पित्त की थैली भी निकलवानी पड़ी थी। पेट से पित्त की थैली निकलवाने के बाद वर्मा जी के पेट की समस्या और ज्यादा बढ़ गयी। वर्मा जी अपनी पेट की समस्या के लिए एलोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल किया करते थे। उस समय की स्थिति ये थी कि जब तक दवाओं का सेवन जारी है तब तक आराम है। जैसे ही दवा खाना बंद किया तो समस्या दोबारा से वहीं आकर खड़ी हो जाती थी जैसे कि शुरूआत में थी।
एक समय आया जब वर्मा जी ने खुद को सेहतमंद करने के लिए हर तरह का इलाज कर लिया। लेकिन उन्हें पूर्ण रूप से कोई सफलता नहीं मिल पाई। ऐसी स्थिति में वे अपनी सेहतमंद होने की पूरी उम्मीद खो चुके थे। चारों तरफ से निराश हो चुके वर्मा जी को सेहतमंद होने की कोई किरण दिखाई नहीं दे रही थी। जब इंसान के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं तो उसे भगवान की तरफ से कोई ना कोई रास्ता जरूर दिखाई देता है। साल 2020 में जब देश में कोरोना की चपेट में था तब वर्मा जी ने टीवी पर जड़ी बूटियों के विज्ञान के प्रसिद्ध विशेषज्ञ हकीम सुलेमान खान साहब को देखा। टीवी के माध्यम से ही वर्मा जी हकीम साहब से जुड़े। वर्मा जी ने शुरूआत में हकीम जी छोटी जड़ी बूटी और घरेलू नुस्खे अपनाना शुरू किया। जब घर के घरेलू नुस्खे और हल्की जड़ी बूटियों से आराम लगने लगा उसके बाद वर्मा जी ने हकीम साहब के घरेलू नुस्खों और यूनानी दवाओं का इस्तेमाल करना शुरू किया। इन दवाओं के इस्तेमाल के कुछ समय बाद ही वर्मा जी को हकीम साहब की यूनानी दवाओं और उनकी शक्ति पर पूरा भरोसा हो गया। उनकी पत्नी ने भी अपने घुटनों के दर्द के लिए गोंद सियाह का इस्तेमाल करना शुरू किया। गोंद सियाह के इस्तेमाल के कुछ समय बाद ही श्रीमति वर्मा जी काफी हैरान थीं कि इतने कम समय में उनके घुटनों के दर्द में आराम होने लगा। घुटनों में दर्द से तो राहत मिला लेकिन उसके साथ ही श्रीमति वर्मा जी का 14kg वजन भी कम हुआ।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू (हिंदी)। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता हैं। यह एक मध्यप्रमाण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। वह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण पाए जाते हैं गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द, शरीर की कई बीमारियों को हम से दूर रखता है।
वर्मा जी ने अपने 85 वर्षीय पिता को भी हकीम साहब के घरेलू नुस्खों को इस्तेमाल कराना शुरू कर दिया। दरअसल उनके पिता को काफी लंबे समय से पैरों में सूजन होने की समस्या थी। बड़े वर्मा जी ने भी हकीम साहब द्वारा बताए गए गोंद सियाह का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। गोंद सियाह ने बड़े वर्मा जी के पैरों की सूजन को कम करके राहत दिलाने में एक अहम भूमिका निभाई है।
रिटायर होने के बाद एक देशभक्त होने के नाते से वर्मा जी ने समाज की सेवा करने का फैसला लिया है। उन्होंने फैसला लिया है कि वे यूनानी उपचार के माध्यम से उन बीमार लोगों की मदद करेंगे जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। वे निःस्वार्थ भाव से लोगों को स्वस्थ करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वर्मा जी ने यह भी बताया कि पाचन संबंधी समस्याओं और घुटनों में दर्द की समस्या के अलावा हकीम साहब के घरेलू इलाज के माध्यम से कई लोगों की मदद कर चुके हैं।